बाजरे की खिचड़ी अगर ऐसे बनाई तो उंगलिया चाटते रह जाओगे
दोस्तों सर्दियाँ आ चुकी हैं और हम लेकर आये हैं आपके लिए शरीर को गर्माहट देने वाली आपकी दादी परदादी की पसंद की बाजरे की खिचड़ी। यकीनन आपके घर के बड़े इसे पसंद करते होंगे लेकिन अगर हमारे बताए हुए तरिके से आप ये रेसिपी बनेंगे तो बचे भी उंगलिया चाट ते रह जाएंगे।
बाजरे की खिचड़ी के बारे में थोड़ी जानकारी:
दोस्तों बाजरे की खिचड़ी एक तासीर से गर्म दाल का दलीय है जो सर्दी में हमारे शरीर को गर्मी प्रदान करता है। इसे मुख्यतः राजस्थान, हरियाणा और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में बहुत पसंदीदा व्यंजन माना जाता है।
बाजरे की खिचड़ी बनाने के कई बेहतरीन तरीके हैं, कई लोग इसमें चावल का मिश्रण करके, प्याज-लहसुन डालकर भी बनाते हैं, लेकिन हम आपको वैष्णव या जैन लोग भी आसानी से खा सकें, ऐसी रेसिपी स्वाद के साथ बताएंगे।
चलिए शुरू करते हैं चटाकेदार बाजरे की खिचड़ी रेसिपी:
दोस्तों, सबसे पहले अपनी सामग्री एकत्रित कर लें। यहां आपको दस 10 सामग्रियों की आवश्यकता पड़ेगी, जो नीचे बताई गई हैं:
- घी या तेल – आपके पास घी हो या तेल, आप दोनों से रेसिपी तैयार कर सकते हैं, लेकिन तेल अगर इस्तेमाल करें तो अच्छी कंपनी का ही करें।
- जीरा – जीरा खिचड़ी में अच्छी सुगंध भर देगा और सर्दी में शरीर को गर्माहट भी प्रदान करेगा।
- हरी मिर्च – हरी मिर्च तीखेपन के लिए डालें। आप अपने स्वाद अनुसार इसका उपयोग कर सकते हैं।
- बाजरा – आपके पास जो बाजरा है, उसका उपयोग करें, लेकिन अगर स्वाद की मात्रा बढ़ानी है तो आप फॉक्सटेल बाजरा, बार्नयार्ड बाजरा, ब्राउनटॉप बाजरा, लिटिल बाजरा और प्रोसो बाजरा इनका प्रयोग कर सकते हैं।
- हल्दी पाउडर – खिचड़ी को रंगत देने के लिए और शरीर को ठंड से गर्मी प्रदान करने के लिए इसका प्रयोग करें।
- हींग – हम प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं कर रहे हैं, इसलिए हम हींग का प्रयोग करेंगे। आप हींग का लेबल चेक कर लें क्योंकि कई कंपनियां हींग को गेहूं के साथ संसाधित करती हैं, तो अगर आपको ग्लूटेन से परहेज है, तो इसका ध्यान रखें।
- पानी – अच्छे स्वाद के लिए आप फिल्टर्ड पानी का उपयोग कर सकते हैं।
- नमक – स्वाद के अनुसार प्रयोग करें।
- मूंग दाल – आप पिली मूंग दाल की जगह छिलके वाली मूंग दाल का भी प्रयोग कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर अरहर या मसूर दाल का भी प्रयोग कर सकते हैं।
- अदरक – अगर आपके पास ताजा अदरक है, तो उसे लें। नहीं तो अदरक का पाउडर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
बाजरे की खिचड़ी कैसे बनाएं:
दोस्तों, हमने सारी सामग्री अपने पास एकत्र कर ली है, अब हम खिचड़ी को बनाना शुरू करेंगे।
तैयारी ऐसे करें:
- आधा कप बाजरा नापकर मिक्सर ग्राइंडर में डालें और इसे दरदरा पीस लें।
- अब हमें बाजरे का दरदरा मिश्रण प्राप्त हो गया है। एक बोल में पानी लीजिए और इस मिश्रण को पानी में छोड़ दीजिए। इसके ऊपर का जो भूसा तैर रहा है, उसे अच्छे से बाजरे के मिश्रण से अलग कर दीजिए।
- अब एक दूसरा कटोरा लें और उसमें आधा कप मूंग दाल डालें। उसे दो बार साफ पानी से धो लें और मूंग दाल को पानी में भीगने के लिए रख दें।
अब हम खिचड़ी बनाने के बहुत नजदीक पहुंच चुके हैं, धैर्य बनाए रखें और अगले चरण की ओर बढ़ें।
बाजरे की खिचड़ी बनाने के अंतिम कदम:
- 5-3 लीटर का एक कुकर लें और उसमें 2 चमच घी या तेल डालकर गरम करें। आंच थोड़ी स्लो रखें।
- घी या तेल गरम हो जाने के बाद उसमें जीरा, हरी मिर्च और हींग डालकर अच्छे से तड़काएं। फिर अदरक डालें और उसे भी भूनें।
- अब इसमें पीसा हुआ बाजरा, भिगोई हुई मूंग दाल, हल्दी पाउडर और नमक डालकर अच्छे से मिला लें।
- अब 4 कप पानी डालकर कुकर बंद कर दें। 2-3 सिटी आने तक पकाएं।
- जब कुकर की सिटी हो जाएं और खिचड़ी पक जाए, तो आंच बंद कर दें। आपकी स्वादिष्ट बाजरे की खिचड़ी तैयार है। इसे गर्म-गर्म परोसें और स्वाद लें।
बाजरे की खिचड़ी के फायदे:
- बाजरे में प्रोटीन, फाइबर और आयरन की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
- यह डाइजेशन को सुधारने में मदद करता है और वजन कम करने में सहायक हो सकता है।
- बाजरे की खिचड़ी शरीर को ठंड से गर्मी प्रदान करने के साथ-साथ आपको विटामिन और खनिज भी देती है।
क्या बाजरा बिना भिगोए पकाया जा सकता है?
बाजरा को बिना भिगोए भी पकाया जा सकता है, लेकिन इसे भिगोने से यह ज्यादा नर्म और जल्दी पकता है। भिगोने से बाजरा ज्यादा स्वादिष्ट और हल्का बनता है।
क्या हम रात में बाजरे की खिचड़ी खा सकते हैं?
जी हां, बाजरे की खिचड़ी रात में भी खाई जा सकती है। यह शरीर को आराम देती है और रात में पाचन में मदद करती है।
बाजरे की तासीर:
बाजरा की तासीर गर्म होती है, जो खासतौर पर सर्दियों में शरीर को अंदर से गर्म रखती है।
कौन सा दिन नहीं खानी चाहिए खिचड़ी?
कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंगलवार और शनिवार को खिचड़ी का सेवन न करने की सलाह दी जाती है, हालांकि यह मान्यताएं अलग-अलग हो सकती हैं।